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Monday, July 30, 2012

DIL KI BAAT / दिल की बात .................


सुबह शाम 
गूंजे मधुर शब्द 
मनोकामना .
subah sham
goonje madhur shabd
manokamna

द्वेष क्लेश क्यों ?

मन देवालय है
श्रेष्ठ रचना.

dwesh klesh kyon?

man devalaya hai
shreshth rachna

ऋतु वर्षा की

ह्रदय म्लान तव ?
भाव स्वच्छंद .

ritu varsha ki

hriday mlaan tav?
bhaav swachchand

मोती चुन ले

खज़ाने से अपने
काव्य में पिरो.



moti chun le

khazane se apne
kavya mein piro

कलम उठा

मिसरा बुन कोई
गज़ल बना .

kalam utha

misra bun koi
gazal bana

दिल की बात

दिल तक पहुँचे
ज़िम्मेदारी है .

dil ki baat

dil tak pahunche
zimmedari hai

अपने सब

गुणी परिवार में
भय ये कैसा ?

apne sab

guni parivaar mein
bhay ye kaisa

उलाहना दें

या मिले सराहना
नम्र आभार .

ulahna de

ya mile sarahna
namra abhaar

Sunday, July 29, 2012

BHARATVAASI AAJ BHI APNE HAATHON SE KHATE HAIN / भारतवासी आज भी अपने हाथों से खाते हैं .......

"अतिथि भगवान का रूप होता है , अपनी क्षमतानुसार उसकी आव-भगत करो "

भारत के किस परिवार में ऐसा नहीं सिखाया जाता है ?आज यही सीख हम भारतवासियों के लिए अपमानजनक  बन गयी.आप सबको ज्ञात होगा , अभी पिछले महीने ही अमरीकी महिला ओपराह विनफ्री भारत भ्रमण पर आयीं  थीं . उनका उद्देश्य बुरा नहीं था,आज के भारत की  एक छवि अपने अमरीकी दर्शकों के समक्ष रखने के लिए कुछ तथ्य संग्रह करने ही आयीं थीं .पर उन्होंने एक कुरुचिपूर्ण मंतव्य कर हम देशवासियों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई है .यहाँ से अपने देश लौट कर वह उक्ति करती हैं कि "भारतवासी आज भी अपने हाथों से खाते हैं!!"
ज़्यादातर विदेशियों की हमारे देश के बारे में यही धारणा है कि हमारी जनसँख्या का बड़ा हिस्सा गरीब है और बस्तियों में रहता है.हमारे देश में सबसे ज़्यादा भिखारी हैं.आज भी भारत का परिचय देते वक्त वो कहतें हैं कि इस देश में बंदरों का नाच दिखाकर और सांपों को बीन की  धुन पे नचाकर लोग जीविका उपार्जन करते हैं.बात काफी हद तक सच है ,परन्तु भारत का ये सिर्फ एक पहलू है .विशाल समुद्र में बूँद जैसा.हमारे देश में जितने वर्ण ,जाति,समुदाये ,और भाषा के लोग बसते हैं शायद ही और कहीं हो  या यूँ कहूँ है ही नहीं .हर एक प्रान्त में कई धर्म एवं भाषा के लोग एकसाथ रहते हैं.विविधता में एकता यही तो हम भारतवासियों की  खूबी है.परन्तु इन विदेशियों को तो आदत है हमारी हर अच्छी बात को नज़रंदाज़ करने की .
Danny Boyle ने कुछ दो एक वर्ष पहले एक फिल्म बनाई थी , Slumdog Millionaire.उन्होंने भी भारत के उस रूप का चित्रण किया जो गरीब है,पैसे कमाने के लिए बच्चों को जानबूझ कर भिखारी बना देता है,नाबालिग लड़कियों को गन्दी गलियों में व्यवसाय करने के लिए मजबूर करता है ,इत्यादि .एक फिल्म हमेशा जीवन के सच्चाई से प्रेरित होने के बावजूद ,अतिशयोक्ति का सहारा लेकर ही अपनी कहानी दर्शकों तक पहुंचाता है.पर ओपराह ने जो दिखाया वो चलचित्र नहीं था,भारत का चित्रण था.कोई हक नहीं बनता किसीका भी की  हमारी भावनाओं  को ठेस पहुंचाए.उनके आवभगत में पूरा बॉलीवुड शामिल था,बड़े से बड़े उद्योगपति ,पत्रकार ,लेखक प्रत्येक ने अपना सम्मान और प्यार उनको दिया.इस प्रेम का उन्होंने तिरस्कार किया और वो भी इतने बुरे ढंग से .
उनका वक्तव्य मूलतः मुंबई के उस हिस्से पर आधारित था जो १०/१० के कमरे में रहता है.उनको ये नहीं दिखा कि १०/१० के कमरे में रहने वाला परिवार कितना सुखी है.उसके पास टीवी है ,मोबाईल फोन है ,बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते हैं.टीवी पर मैंने जो देखा उसके अनुसार ओपराह एक बारह वर्षीय लड़की से कहती हैं कि उसकी माँ जो कह रही है उसका अर्थनिरूपण(interpretation) करे.माँ से जो प्रश्न वह पूछ रहीं थीं उसमे उनके दांपत्य जीवन से जुड़े प्रश्न भी थे.क्या यही है एक उन्नत देश के नागरिक की  शिक्षा?
मुंबई के चौल में रहने वाले लोग ही समूचे भारतवर्ष का असली परिचय नहीं हैं .और यदि हैं भी तो हमें तो इस बात पे ना तो कोई आपत्ति है और ना ही कोई परेशानी.बच्चा चाहे जैसा भी हो , माँ को सदैव अपना ही बच्चा ज़्यादा प्यारा लगता है.वह खुद चाहे कितना भी डांटे या मारे , यदि कोई दूसरा ऐसा करे तो तुरंत अपने बच्चे का पक्ष लेती है .और प्रत्येक संतान के पास उसकी अपनी माँ ही  विश्व की  सबसे सुंदर स्त्री होती है.हम भारतवासियों के साथ भी ऐसा ही है.हमारी भारत माँ जैसी भी है हमें प्राणों से भी प्यारी है.किसी को यदि हमारी माँ सुंदर नहीं लगती तो ना आये हमारे घर,ग्रहण ना करे हमारे घर का अन्न जल.पर ये कैसा शिष्टाचार,की आदर सत्कार के साथ उन्हें हमने घर में पनाह दी,उन्होंने अपना कार्य सम्पूर्ण किया और अपने देश लौट कर हमारे ही संस्कारों की चर्चा करें !!ये हमारी सहिष्णुता और विनम्रता जैसे गुण ही हैं जो हमने इस बात की इतिश्री कर दी .
हम अपने हाथों से खाते हैं , उन्हें आपत्ति है तो छूरी कांटे से खाएं .हमारे देश में माँ के हाथों से खाना खाने के लिए लोग तरस जाते हैं,माँ एक कौर खिला दे तो दिन अच्छा गुज़रता है ,ऐसा कई लोग मानते हैं.पर हम इन विदेशियों को क्यों समझाएं ये सब.हम भी अगर चाहें तो उनके संस्कारों की आलोचना कर सकते हैं , पर हमारा ज़मीर किसी प्रकार के कुत्सित मंतव्य का अधिकार नहीं देता .जिस देश की  वो नागरिक हैं वहाँ तो एक समय ऐसा भी था जब त्वचा के रंग के आधार पर चरम भेदभाव किया जाता था.ज़ाहिर है उन्होंने खुद और उनके समुदाये के लोगों ने तिरस्कार सहा  हो.हम भारतवासी आज भी ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में गोरों के हाथों अपमानित होते हैं.कई लड़कों का खून तक हुआ है इस वजह से.पर हम इस मुद्दे को लेकर ज़्यादा सोचते ही नहीं हैं.अप्रासंगिक है ,पर कहना ज़रूरी है.हम खुद कितना साफ़ या गोरे रंग के भक्त हैं ये तो विज्ञापनों को देखकर पता चल ही जाता है.आजकल लड़के भी गोरेपन की साज सामग्रियों  का इस्तेमाल करने लगें हैं.विज्ञापन में दिखाते हैं कि गोरी लड़की के लिए नौकरी पाना या योग्य वर मिलना एक सांवली  लड़की से ज़्यादा आसान है.ऐसा मैंने सुना भी है कि अपने अप्रगुण(inefficiency) को गोरे रंग की आड़ में रख कई महिलायें अच्छे से अच्छे ओहदे पर टिकी भी  हुईं हैं .पर इन छोटी छोटी बातों को नज़रंदाज़ कर आगे बढ़ना ही भारत जैसे विशाल देश के लिये शोभायमान है .हमारे संस्कार ,हमारी आदतें हम किसी बाहर वाले के डर से बदल तो नहीं सकते.उन्होंने भारत की ऐसी तस्वीर सम्पूर्ण विश्व को दिखाकर पैसे भी कमा लिए और शोहरत भी हासिल कर ली,पर भारत का जो हिस्सा उनसे मोहब्बत करता था उनके विश्वास को ठेस पहुँचाया है.ईश्वर उन्हें सदबुद्धि दे,वरना हमारे द्वार तो सदैव खुले ही हैं, हम तो फिर उनका ऐसा ही आदर सत्कार करेंगे.हमारे संस्कार हमें यही सिखाते हैं कि दुश्मन यदि खुद चलकर तुम्हारे पास आये तो कम से कम एक गिलास पानी उसके समक्ष ज़रूर रखो .काश उन्होंने कभी हम भारतियों का खाना अपने हाथों से खाकर देखा होता !!


PRAKRITI / प्रकृति....................

Mand mand gati se
balkhati itrati
ayee mere kamre mein
hawa khushbu bhari

Bauraye mast hathi jaise
soond hilate
rang hai nyara hara
ped aur unki dalein

Kali ghata ke aad se
tiptipati jhanjhanati
hriday ullasit kare
varsha ki saugaat

Sikhati bade prem se
mayawini sundari
greeshm,varsha,sheet
dhara apne niyam
____________________

मंद मंद गति से
बलखाती इतराती
आयी मेरे कमरे में
हवा खुश्बू भरी

बौराये मस्त हाथी जैसे
सूँड हिलाते
रंग है न्यारा हरा
पेड़ और उनकी डालें

काली घटा की आड़ से
टिपटिपाती झनझनाती
हृदय उल्लसित करे
वर्षा की सौगात

सिखाती बड़े प्रेम से
मायाविनी सुंदरी
ग्रीष्म,वर्षा,शीत
धरा अपने नियम

Thursday, July 26, 2012

'SWAPNO' - AMADER PRIYO BOHURUPI........ / 'স্বপ্ন' আমাদের প্রিয় বহুরূপী

Chaina mukh dekhte
tobu roj ashe
anahuter moton
anorgol katha bole jaye
biroktikor......
or nishwas proshwash
ashojjhokor
jara chaichhe oke,shekhane jak......................

Ami tyag korechhi oke
anekdin holo
ki notunatwo achhe or?
Shei hanshabe
hanshiye kandabe
roudrer por bristi
bristir por jhor
ami chine giyechhi,abhinoy thak........................

Parichoy tar?Chenona?
Amader shobar priyo bohurupi ,'Swapno'..........
___________________________________________

চাইনা  মুখ দেখতে
তবু রোজ আসে
আনাহুতের মতন
অনর্গল কথা বলে যায়ে 
বিরক্তিকর ......
ওর নিশ্বাস প্রশ্বাস
অসজ্ঝকর 
যারা চাইছে ওকে,সেখানে যাক......................

আমি ত্যাগ করেচ্ছি ওকে
অনেকদিন হোলো 
কী নতুনত্ব আচ্ছে ওর?
সেই হাঁসাবে 
হাঁসিয়ে কাঁদাবে 
রৌদ্রের পর বৃষ্টি 
বৃষ্টির পর ঝড়
আমি চীনে গিয়েছি,অভিনয় থাক........................

পরিচয় তার?চেননা ?
আমাদের সবার প্রিয় বহুরূপী ,'স্বপ্ন'..........


Wednesday, July 25, 2012

KALE DHOONYE MEIN HUM TUM.... / काले धूएँ में हम तुम.…



Nikli thi main apne dil ko bahlane
halki barish ki bauchhar mein
mitti ki saundhi khushboo liye
sapnon ki tashtari liye

Socha chalo tod laoon aaj
thodi si chaandni apne liye
tumhare liye thoda sa aasmaan
aur sajaa loon apna jahan

Taron se achchadit hai dhara
timtimate jaise angoor ke guchche
man kiya unhe bhi tod laoon
meethi neend mein so jaoon

Gaganchumbi imaraton ki mahfil
shor sharaba,kaisi bhaagdaud
(par ) bijli ke taron mein chaand gum
aur kale dhoonye mein hum tum.... 

निकली थी मैं अपने दिल को बहलाने
हल्की बारिश की बौछार में
मिट्‍टी की सौंधी खुश्बू लिये
सपनों की तश्तरी लिये

सोचा चलो तोड़ लाऊँ आज
थोड़ी सी चाँदनी अपने लिये
तुम्हारे लिये थोड़ा सा आसमान
और सजा लूँ अपना जहान

तारों से आच्छादित है धरा
टिमटिमाते जैसे अंगूर के गुच्छे
मन किया उन्हें भी तोड़ लाऊँ
मीठी नींद में सो जाऊँ

गगनचुंबी इमारतों की महफिल
शोर शराबा,कैसी भागदौड़ 
(पर ) बिजली के तारों में चाँद गुम
और काले धूएँ में हम तुम..... 

Monday, July 23, 2012

'YOU CANNOT HAVE BEST OF BOTH THE WORLDS'


Had a conversation with the sky.
Told him , I am powerless to fathom
the secret of his vastness and bounty .
Asked him,is not he proud?

He had a similar query in his eyes.
He had tried to guage the deepness,
the sea of love in my heart’s core
but the mystery was covered in a shroud

I told him , I wanted to feel the line
I could spot far away in the horizon,
point where sky merged with the trees,
the moment when sun summoned the cloud

I yearn for those wings for I want to soar
sit amid the moon and stars above.
I want to weave the virtual and surreal
and merge with the real clear and loud

Sky, as clever as his vastness avowed,
‘you cannot have best of both the worlds.
Love what you have in your fist
and long for what is yours never to be’………..


Sunday, July 22, 2012

NEWSPAPER


THEN-Hope my letter finds you in pink of health and cheer…..

NOW-Hope this message or this mail or this sms or……………

Letters ,postcards,registered letters etc are gradually striding towards the fate of the telegrams and STDs. How many of you know about trunk calls ? OMG, if my son reads this he is going to relegate me to the times of the cavemen!!
Just one thing has survived in the face of this booming technology – ‘NEWSPAPER’.
The charm of this entity has not faded even by an iota over so many years and that is so wonderful . Most of us still want our newspapers ,crispy and fresh,first thing in the morning ,over a cup of tea or coffee.Newspapers have survived the battle with electronic media because they have numerous plus points . The greatest anvantage being the flexibility which it brings with itself . The idiot box will not telecast the news bulletin at our convenience but our newspaper listens to us.We can read it whenever we want to and also stack the old ones ,use some cuttings from them for projects and collage.
Its true that all the leading newspapers have their respective websites but other than the journos and other media professionals how many of us really feel the urge to read a news bulletin on a computer screen?Well ,even the younger lot appreciates the resourcefulness and worth of the print media out of an assortment of means of communication accessible by them
I am pretty confident that newspapers are never going to meet the fate of the Dinosaurs.

Friday, July 20, 2012

MERE KHWAABON KI BASTI / मेरे ख़्वाबों की बस्ती .......

Mere khwaabon ki basti ka soonapan door ho jayega
tere chhoone se mera khwaabgaah mashhoor ho jayega

Jin raaston se hum wakif  thhe , wo nazar ate hi nahin
tu saath chale to nayi raah ka patthar kohinoor ho jayega

Ummeed ka daaman nahin chhoda hai maine abhi tak
tu bhi sahra paar jane ke liye majboor ho jayega

Kahan socha tha hamne jab mohabbat ka izhaar kiya tha
ki jannat-e- ishq mein gum hona kasoor ho jayega

Paak mohabbat ki dua mein ek ajeeb si kashish hai
meri bekasi ka aalam aaj zaroor benoor ho jayega
_______________________________________________

मेरे ख़्वाबों की  बस्ती का सूनापन दूर हो जायेगा
तेरे छूने से मेरा ख़्वाबगाह   मशहूर हो जायेगा

जिन रास्तों से हम वाकिफ  थे , वो नज़र आते ही  नहीं
तू साथ चले तो नई राह का पत्थर कोहीनूर हो जायेगा

उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है मैंने अभी तक
तू भी सहरा पार जाने के लिये मजबूर हो जायेगा

कहाँ सोचा था हमने जब मोहब्बत का इज़हार किया था
कि जन्नत-ए-इश्क में गुम होना कसूर हो जायेगा

पाक मोहब्बत की  दुआ  में एक अजीब सी कशिश  है
मेरी  बेकसी का आलम आज ज़रूर बेनूर हो जायेगा

Tuesday, July 17, 2012

AB TO KAARSAAZ BHI NAHIN BOLTA / अब तो कारसाज़ भी नहीं बोलता .........

Aaina to humse jhooth kabhi nahin bolta
aur sach tumari tarah bhi nahin bolta

Is geele khushbudaar mitti  ko ilm hai judai ka
sau baar poochha humne,pataa fir bhi nahin bolta

Sailab hai yadon ka jisme dil aaj dooba hai
intihaan imtihaan ki,ab to kaarsaaz bhi nahin bolta

Darakhton ne to dekha hoga tumko ate hue
neem se poochha,aaj wo bhi nahin bolta

Poornamasi hai, purnoor hai mera aangan
aaj chaand ne haal poochha,waise kabhi nahin bolta

Is gahri mohabbat ke hum baagbaan hain
manzil door hai,yeh to mera dil bhi nahin bolta
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आईना तो हमसे झूठ कभी नहीं बोलता
और सच तुम्हारी तरह भी नहीं बोलता

इस गीली खुशबूदार मिट्टी को इल्म है जुदाई का
सौ बार पूछा हमने ,पता फिर भी नहीं बोलता

सैलाब है यादों का जिसमें दिल आज डूबा है
इंतिहां इम्तिहान की,अब तो कारसाज़ भी नहीं बोलता

दरख़्तों ने तो देखा होगा तुमको आते हुए
नीम से पूछा,आज वो   भी नहीं बोलता

पूर्णमासी है, पुरनूर  है मेरा आँगन
आज चाँद ने हाल पूछा,वैसे कभी नहीं बोलता

इस गहरी मोहब्बत के हम बागबान हैं
मंज़िल दूर है,ये  तो मेरा दिल भी नहीं बोलता

BICHHDA SAATHI / बिछड़ा साथी ..................

Bichhda saathi                                                                                                                          
milna mumkin                                                                                               
duniya gol..........................

बिछड़ा साथी 
मिलना मुमकिन 
दुनिया गोल ...........................
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Saalon pehle black mein ticket kharidi thi film ki
tez barish hui thi us din,chhatri bhi toot gayi thi

(kal bheege to darr laga,kahin beemar na padh jayen)


सालों पहले ब्लैक में टिकट खरीदी थी फिल्म की 
तेज़ बारिश हुई थी उस दिन,छतरी भी टूट गयी थी 

(कल भीगे तो डर लगा,कहीं बीमार न पड़ जाएँ )

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Unki zabaan se jo nikla teer jaisa tha
Par hamein to dard sahne ki aadat hai................

उनकी ज़बान से जो निकला तीर जैसा था
पर हमें तो दर्द सहने की आदत है ...............................

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