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Wednesday, September 25, 2013
EK ANCHINHA PAL.../ एक अनचीन्हा पल
Ek anchinha pal
ek aparichit hulchul
ek thami hui saans
ek mand muskaan
aur sirf ek.....
ek mahakta ehsaas
milkar ban jate hain
bahut kuchh
jise samajhne ke liye
chand lafzon ki zaroorat hai
ya dhai akshar hi kaafi hain !
एक अनचीन्हा पल
एक अपरिचित हलचल
एक थमी हुई साँस
एक मंद मुस्कान
और सिर्फ़ एक.…
एक महकता एहसास
मिलकर बन जाते हैं
बहुत कुछ
जिसे समझने के लिए
चंद लफ़्ज़ों की ज़रूरत है
या ढाई अक्षर ही काफी हैं !
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आपकी कविता गागर में सागर जैसी है , कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया है । रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
ReplyDeleteसराहना के लिए तहे दिल से आभार रामेश्वर जी
Deleteअपर्णा आपने तो सारी दुनिया ही समेट दी....बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार अलकनंदा जी।
Deleteएहसासों और भावों को स्वछन्द आकाश मिला . बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए आशीष जी
Deleteकुछ शब्दों में बहुत कुछ कह दिया...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार इस मूल्यवान प्रतिक्रिया के लिए कैलाश जी
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
बहुत बहुत शुक्रिया यशवंत जी
Deleteahsaason ka sagar ........bahut badhiya
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर टिप्पणी के लिए दिल से आभार निशा जी
Deleteप्रभावशाली है ..बधाई !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार सतीश जी
Deletebahut khoob
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया मुख्तियार जी
Deleteकल 29/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद!
सहर्ष आभार
Delete“अजेय-असीम{Unlimited Potential}”
ReplyDelete-आदरणीया ,सादर अभिवादन |
ढाई अच्छर ही काफी हैं ,अनगिनत एहसासों के जबाब में |बहुत खूबसूरत लेखनी |
उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद अजय जी
Deleteबहुत सुन्दर......
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद कौशल जी
Deleteखुबसूरत अभिवयक्ति......
ReplyDeleteदिल से आभार सुषमा जी
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